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राजनीति सिद्धांत के उद्भव का पता लगाइए

राजनीति सिद्धांत के उद्भव का पता लगाइए

राजनीति सिद्धांत (Political Theory) राजनीति का वह हिस्सा है जो सत्ता, शासन, न्याय, स्वतंत्रता, समानता, अधिकार, और कर्तव्यों जैसे विषयों पर विचार करता है। यह सिद्धांत हमें यह समझने में मदद करता है कि समाज को किस प्रकार से संचालित किया जाना चाहिए और किस प्रकार की राजनीतिक व्यवस्था सबसे उपयुक्त होती है। राजनीति सिद्धांत का उद्भव कोई एकल घटना नहीं है, बल्कि यह एक लंबी ऐतिहासिक और बौद्धिक प्रक्रिया का परिणाम है। इसका विकास मानव सभ्यता के आरंभिक काल से लेकर आधुनिक युग तक विभिन्न चरणों में हुआ है।

1. प्राचीन काल में राजनीति सिद्धांत का आरंभ

राजनीति सिद्धांत की शुरुआत प्राचीन सभ्यताओं से होती है। भारत में कौटिल्य का अर्थशास्त्र और यूनान में प्लेटो और अरस्तू की कृतियाँ इस क्षेत्र की प्रारंभिक नींव मानी जाती हैं।

  • प्लेटो ने अपनी रचना The Republic (गणराज्य) में एक आदर्श राज्य की कल्पना की, जहाँ न्याय, शिक्षा और दार्शनिकों का शासन सर्वोपरि था।
  • अरस्तू, जिसे “राजनीति का पिता” कहा जाता है, ने Politics नामक ग्रंथ में विभिन्न राज्य व्यवस्थाओं का तुलनात्मक अध्ययन किया और राजनीति को एक व्यावहारिक और नैतिक विज्ञान माना।
  • भारत में कौटिल्य (चाणक्य) ने अर्थशास्त्र के माध्यम से शासन, कूटनीति, युद्धनीति और प्रशासन के सिद्धांत दिए, जो आज भी प्रासंगिक माने जाते हैं।

2. मध्यकालीन काल में राजनीति और धर्म का मेल

मध्यकाल में राजनीति धर्म के प्रभाव में रही। ईसाई और इस्लामी जगत में धर्मगुरुओं का शासन पर विशेष प्रभाव था। इस काल में राजनीति पर नैतिकता और धार्मिक आस्थाओं का गहरा प्रभाव देखा गया।

  • यूरोप में थॉमस एक्विनास जैसे विचारकों ने ईश्वर की इच्छा को राजनीति में सर्वोच्च बताया।
  • इस्लामी दुनिया में अल-फरबी, इब्न खलदून आदि विचारकों ने शासन और समाज के विकास पर धार्मिक दृष्टिकोण से विचार किया।

3. पुनर्जागरण और आधुनिक राजनीति सिद्धांत का उदय

15वीं शताब्दी के बाद यूरोप में पुनर्जागरण और प्रबोधन (Enlightenment) काल आया। इस काल में मानव बुद्धि, तर्क और अनुभव को प्राथमिकता दी गई। राजनीति को धर्म से अलग कर स्वतंत्र रूप में समझने का प्रयास शुरू हुआ।

  • निकोलो मैकियावेली ने The Prince में सत्ता और शासन को व्यावहारिक और यथार्थवादी दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि शासक को कभी-कभी नैतिकता से परे जाकर भी शासन करना पड़ता है।
  • थॉमस हॉब्स, जॉन लॉक, और रूसो ने सामाजिक संविदा सिद्धांत दिया, जिसमें बताया गया कि राज्य और जनता के बीच एक अनुबंध होता है जिससे सरकार की वैधता सुनिश्चित होती है।
    • हॉब्स ने कहा कि बिना राज्य के “जीवन क्रूर, अल्पकालिक और अराजक” होता है।
    • लॉक ने प्राकृतिक अधिकारों की रक्षा के लिए सीमित सरकार की वकालत की।
    • रूसो ने जन-इच्छा को सर्वोच्च बताया और लोकतंत्र की नींव रखी।

4. आधुनिक युग में राजनीति सिद्धांत का विस्तार

20वीं सदी में राजनीति सिद्धांत और भी अधिक विस्तृत हुआ। इसमें अब नारीवाद, पर्यावरणवाद, मानवाधिकार, बहुसांस्कृतिकता, और विकासशील देशों की राजनीति जैसे नए विषयों को भी शामिल किया गया।

  • कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष और पूंजीवाद की आलोचना की और समाजवादी राजनीति सिद्धांत की नींव रखी।
  • महात्मा गांधी ने सत्य, अहिंसा और ग्राम स्वराज के सिद्धांतों के माध्यम से एक नैतिक राजनीति का दृष्टिकोण दिया।
  • आज के समय में राजनीति सिद्धांत लोकतंत्र, सामाजिक न्याय, लैंगिक समानता, वैश्वीकरण और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर केंद्रित है।
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निष्कर्ष

राजनीति सिद्धांत का उद्भव एक दीर्घकालिक और जटिल प्रक्रिया है, जिसमें ऐतिहासिक घटनाओं, दार्शनिक विचारों, सामाजिक परिवर्तन और मानव अनुभवों की प्रमुख भूमिका रही है। यह न केवल हमें अतीत की राजनीति को समझने में सहायता करता है, बल्कि भविष्य की दिशा तय करने में भी मार्गदर्शन प्रदान करता है। बदलते समय के साथ-साथ राजनीति सिद्धांत भी विकसित होता रहा है और यह विकास भविष्य में भी जारी रहेगा।

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